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Thursday, December 6, 2012


हिन्दी गीत/गजल
शेखर ढुंगेल
मै ने कहाँ हि नही
खुस्बु तु मेरी पसन्द हे
बिखर्ती हुइ लुढ़क्ति हुइ
मेरे दिल तक पहुच हि गई
तो मै क्या करु ?
.......
भले हि व अब कहने लगी
मुझ पर मेरा कोइ हक नही
हा हा यहि सच हे प्यार मे
खुद पर खुद का जोर नही
तो मै क्या करु ?
...............
फुल हि ना रहे कहाँ होगा सुबास
जित्ने भागे  नदिया छुटते नही किनार
अब तो यैसा लगने लगा
अधुरी रहेगी मेरी कहानी बिना तेरे साथ
त्यो मै क्या करु ?

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